Chapter 11: वाच्य परिवर्तन

Sanskrit - Vyakaranavithi • Class 10

Download PDF

Loading PDF...

Chapter Analysis

Intermediate5 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में 'वाच्य परिवर्तन' के माध्यम से व्याकरण के विभिन्न रूपों का अध्ययन किया जाता है। इसमें कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य के प्रयोगों के उदाहरण दिए गए हैं। शिक्षक छात्रों को सिखाते हैं कि कैसे कर्मवाच्य में परिवर्तन किया जाए, और यह कैसे संज्ञाओं के लिंग, वचन और पुरुष पर निर्भर होता है। उदाहरणों और अभ्यास प्रश्नों के माध्यम से छात्रों को वाच्य के भिन्न रूपों के प्रति उनकी समझ को विकसित करने में मदद मिलती है।

Key Topics

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य
  • वाच्य परिवर्तन के उदाहरण
  • विभक्तियों का प्रयोग
  • क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष से संबंध

Learning Objectives

  • विभिन्न वाच्य रूपों को पहचानना और उनका प्रयोग करना सीखना।
  • कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य में परिवर्तन करके भाषा कौशल को सुधारना।
  • वाच्य के प्रयोग से वाक्य संरचना को समझना।
  • अभ्यास प्रश्नों के माध्यम से व्याकरण ज्ञान को बढ़ाना।

Questions in Chapter

प्र. 1. उदाहरणमिुसत्‍य ‍यथालिलदतृष्ं‍ वाच्यपररवरतृिं कुरुर—

Page 124

प्र. 2. अधोलिलिरवाक‍ेयषु कर्तृपदे वाच्‍यािुसारं ररकरसथािालि पूर‍यर—

Page 127

प्र. 3. अधोलिलिरवाक्यािां कमतृपदे पररवरतृिं कुरुर—

Page 128

प्र. 4. अधोलिलिरवाक्यािां लरि‍यापदे पररवरतृिं कुरुर—

Page 126

Additional Practice Questions

अनेक उदाहरण देकर कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में कैसे परिवर्तित किया जाता है?

medium

Answer: कर्तृवाच्य में जहां कर्ता प्रधान होता है और क्रिया कर्ता के अनुसार होती है, उसमें कर्मवाच्य में परिवर्तन करते समय कर्म को प्रधान बना दिया जाता है और कर्ता तृतीया विभक्ति में होता है। उदाहरण: 'राम पुस्तक पढ़ता है' को कर्मवाच्य में 'रामेण पुस्तक पढ़ी जाती है' कहा जाएगा।

भाववाच्य का उदाहरण दीजिए और उसका प्रयोग समझाइए।

medium

Answer: भाववाच्य में क्रिया पर अधिक ध्यान दिया जाता है। उदाहरण: 'मया कर्तव्यं कृतं' यह व्यक्त करता है कि कार्य हो चुका है। इसमें व्यक्तियों की प्राथमिकता नहीं होती।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन करते समय किन-किन बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए?

hard

Answer: कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन करते समय कर्ता को तृतीया विभक्ति में बदल दिया जाता है और कर्म के अनुसार क्रिया होती है। साथ ही, वाक्य के अर्थ में समरूपता बनी रहती है।