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Chapter Analysis
Advanced22 pages • HindiQuick Summary
इस अध्याय में, उष्मागतिकी के मूलभूत सिद्धांतों पर चर्चा की गई है जैसे कि उष्मा स्थानांतरण, ऊष्मीय क्षमता, और एंटाल्पी के विभिन्न मापन। इसमें रासायनिक अभिक्रियाओं में ऊर्जा परिवर्तन और उसके मापन के तरीके वर्णित हैं। अध्याय उष्मा स्थानांतरण के विभिन्न प्रकार और उनके लिए लागू गणितीय समीकरणों पर भी केंद्रित है।
Key Topics
- •ऊष्मागतिकी की पहली विधि
- •ऊष्मागतिकी की दूसरी विधि
- •एंटाल्पी और एंट्रोपी
- •उष्मीय क्षमता और विशिष्ट ऊष्मा
- •उष्मा स्थानांतरण के प्रकार
- •वान-डेर-वाल समीकरण
- •कैलोरीमेट्री
Learning Objectives
- ✓ऊष्मागतिकी की अवधारणाओं को समझना
- ✓एंटाल्पी और एंट्रोपी के महत्व की व्याख्या करना
- ✓कैलोरीमेट्री और मापन के तरीके सीखना
- ✓विभिन्न उष्मा स्थानांतरण तरीकों का विश्लेषण करना
- ✓रासायनिक अभिक्रियाओं में ऊर्जा परिवर्तन की गणना करना
Questions in Chapter
5-1: लघु प्रश्न पूछें: ऊष्मागतिकी की पहली विधि क्या है?
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5-2: नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन-सी अवस्था परिवर्तन की आवश्यक शर्त नहीं है?
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Additional Practice Questions
ऊष्मागतिकी की दूसरी विधि का समझाइए।
mediumAnswer: ऊष्मागतिकी की दूसरी विधि के अनुसार, किसी भी स्वाभाविक प्रक्रिया में सम्पूर्ण प्रणाली की अनट्रॉपी बढ़ती है। इसका अर्थ यह हुआ कि ऊर्जा का अव्यस्थ परिवर्तन होता है, जो कभी भी घट नहीं सकता।
तापीय क्षमता और विशिष्ट ऊष्मा के बीच अंतर स्पष्ट करें।
easyAnswer: तापीय क्षमता एक पदार्थ की वह क्षमता है जिससे वह अपनी ताप में एक केल्विन की वृद्धि के लिए आवश्यक ऊर्जा को मापता है, जबकि विशिष्ट ऊष्मा प्रति इकाई द्रव्यमान के लिए यह ऊर्जा होती है।
बेनेटिक और पोटेंशियल ऊष्मा ऊर्जा का ऊष्मागतिकी में क्या महत्व है?
mediumAnswer: बेनेटिक और पोटेंशियल ऊर्जा, उष्मागतिकी में ऊर्जा संतुलन और अभिक्रिया में परिवर्तन को समझने के लिए आवश्यक होती हैं क्योंकि वे किसी प्रणाली की संभावनात्मक ऊर्जा स्तरों को दर्शाती हैं।
कैसे एक बहुलिका गैस के लिए वान-डेर-वाल समीकरण लागू होता है?
hardAnswer: वान-डेर-वाल समीकरण वास्तविक गैसों की असमान दबाव और मात्रा को समायोजित करता है, और बहुलिका गैसों के अभिकर्षण गुणांक एवं बिन्दुक स्थानों को अनुकरणीय करता है।
उष्मा संचरण के तीन मुख्य प्रकार क्या हैं?
easyAnswer: उष्मा संचरण के तीन मुख्य प्रकार हैं: चालन, संवहन और विकिरण, जिनमें से प्रत्येक में ऊर्जा का स्थानांतरण विभिन्न माध्यमों से होता है।