Chapter 3: अपवाह तंत्र

Geography - Bhart Bhautik Paryabaran • Class 11

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Chapter Analysis

Intermediate26 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में अपवाह तंत्र के विभिन्न प्रकारों का अध्ययन किया गया है, जहां पर नदियों और उनके प्रवाह के प्रकारों का वर्णन किया गया है। मुख्य भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित अपवाह तंत्रों की विशिष्टता का विश्लेषण किया गया है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न नदियों के जलग्रहण क्षेत्र और उनके पर्यावरणीय प्रभावों पर चर्चा की गई है।

Key Topics

  • अपवाह तंत्र के प्रकार
  • जलविभाजन क्षेत्र
  • प्रमुख भारतीय नदियाँ
  • जलकी उपयोगिता
  • नदियों का पर्यावरणीय प्रभाव
  • जलग्रहण क्षेत्र

Learning Objectives

  • अध्याय के अंत तक, छात्र विभिन्न अपवाह तंत्रों की पहचान कर सकेंगे।
  • छात्र जलविभाजन क्षेत्र की भूमिका और महत्व को समझेंगे।
  • प्रमुख भारतीय नदियों और उनके गंतव्य के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
  • छात्र नदियों के पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को समझ सकेंगे।

Questions in Chapter

हिन्द महासागर के निकट स्थित जलविभाजनों की विशेषता क्या है?

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भारत में प्रमुख अपवाह तंत्रों की सूची बनाईये।

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उपयोगी नदियों के तीन लक्षण लिखें।

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Additional Practice Questions

अपवाह तंत्र के प्रकार क्या होते हैं?

medium

Answer: अपवाह तंत्र के प्रकार शलाका, वृक्षाकार, जाली, और विकेन्द्रित होते हैं। वे इलाके के भूगोल और प्रकृति के अनुसार भिन्न होते हैं।

जलग्रहण क्षेत्र का महत्व क्या है?

easy

Answer: जलग्रहण क्षेत्र जल की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जो कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए आवश्यक होते हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप के कौन से प्रमुख नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं?

hard

Answer: गंगा, ब्रह्मपुत्र, और महानदी ये प्रमुख नदियाँ हैं जो बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।

भारत में नदियों के सामाजिक-आर्थिक लाभ क्या हैं?

medium

Answer: नदियाँ परिवहन, सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, और मत्स्य पालन के लिए आवश्यक होती हैं, जो आर्थिक विकास में सहायक होती हैं।

गंगा नदी के जलविभाजन क्षेत्र का महत्व क्या है?

easy

Answer: गंगा नदी का जलविभाजन क्षेत्र कृषि के लिए अत्यधिक उपजाऊ है और लाखों लोगों की जल आवश्यकताओं को पूरा करता है।