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Chapter Analysis
Advanced20 pages • HindiQuick Summary
यह अध्याय स्थलाकृतिक मानचित्रों के बारे में है जिससे भौगोलिक विशेषताओं जैसे पर्वत, नदी, और अन्य स्थलाकृतिक विशेषताओं की पहचान की जा सकती है। इसमें विभिन्न प्रकार के कर्ज़ो और उनके उपयोग को समझाया गया है। स्थलाकृतिक मानचित्रों में उपयोग की जाने वाली लेंसिंग तकनीकों और उनकी दौगिक रचनाओं का भी वर्णन है।
Key Topics
- •स्थलाकृतिक मानचित्र की संरचना
- •लेक्सपीक लाइनों का अर्थ और उपयोग
- •भौगोलिक विशेषताओं की पहचान
- •भूतलीय मानचित्र बनाना
- •क्षेत्रीय उपयोगिताएँ
- •मानचित्रीय विश्लेषण तकनीक
- •मानचित्र पर दर्शाई गई विशेषताएँ
Learning Objectives
- ✓छात्र विभिन्न स्थलाकृतिक मानचित्रों को पढ़ना सीखेंगे।
- ✓छात्र विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं की पहचान कर सकेंगे।
- ✓छात्र स्थलाकृतिक मानचित्रों की उपयोगिता को समझ पाएंगे।
- ✓छात्र मानचित्रीय मापन तकनीकों को समझेंगे।
- ✓छात्र इलाके की ऊँचाई और गहराई के मापन में प्रवीण होंगे।
Questions in Chapter
लेक्सपीक लाइनों से स्थलाकृतिक मानचित्र का नाम लिखें।
Answer: इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया गया है।
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मानचित्र में लेक्सपीक अंतराल का पता लगाएं।
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मानचित्र पर E और F के बीच की दूरी को पैमाने में मापें।
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E और F के बीच की चढ़ाई का नाम लिखें।
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Additional Practice Questions
अध्याय के अनुसार स्थलाकृतिक मानचित्र कैसे उपयोगी हैं?
mediumAnswer: स्थलाकृतिक मानचित्र भौगोलिक विशेषताओं की दृष्टव्य प्रस्तुति होते हैं जो अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। ये विशेष रूप से जब हम किसी क्षेत्र के भौगोलिक रूप से विस्तार और वनस्पति को समझना चाहते हैं।
मानचित्र की पेमाइश के लिए कौन-कौन से उपकरणों का उपयोग संभव है?
easyAnswer: पैमाइश के लिए विविध यंत्र जैसे पैमाना, सर्कल और लेवलिंग टूल्स का उपयोग किया जाता है। ये गहराई और ऊँचाई का मापन करने में सहायक होते हैं।