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Chapter Analysis
Intermediate20 pages • HindiQuick Summary
इस अध्याय में भारत की न्यायपालिका की संरचना और इसकी स्वतंत्रता के महत्व को समझाया गया है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सरकार के अन्य अंगों से अलग रखने और इसे न्यायिक समीक्षा जैसी शक्तियों से सुसज्जित करने पर बल दिया गया है। यह भी बताया गया है कि कैसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय देशभर के सभी न्यायालयों पर लागू होते हैं और न्यायपालिका का संविधान में उल्लिखित शक्तियों से परे जाकर न्याय देने का अधिकार है।
Key Topics
- •न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- •न्यायिक पुनरावलोकन
- •संविधान में न्यायपालिका की भूमिका
- •उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का प्रभाव
- •न्यायिक सक्रियता
- •न्यायिक पुनरावलोकन की क्षमता
Learning Objectives
- ✓न्यायपालिका की संरचना और कार्यप्रणाली को समझना।
- ✓न्यायिक स्वतंत्रता और इसके महत्व को परखना।
- ✓सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय प्रक्रिया का अध्ययन करना।
- ✓न्यायिक पुनरावलोकन का अस्तित्व और इसकी आवश्यकता को जानना।
- ✓न्यायिक सक्रियता के प्रभावों का मूल्यांकन।
Questions in Chapter
उच्चतम न्यायालय के निर्णय की अनुकृति के क्या क्षमताएँ हैं?
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क्या न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ यह है कि न्यायपालिका किसी भी प्रकार के प्रभाव से मुक्त है?
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न्यायपालिका की संरचना की विशेषताएँ क्या हैं?
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न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति की व्याख्या कैसे होती है?
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Additional Practice Questions
न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
mediumAnswer: न्यायपालिका की स्वतंत्रता किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव या अन्य बाहरी प्रभावों से मुक्त रहकर सही और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करती है। इससे लोकतंत्र में न्याय का वास्तविक रूप प्रतिबिंबित होता है और नागरिक अधिकारों की रक्षा होती है।
सरकार की विभाजन की किस संरचना में न्यायपालिका को रखा जाता है और क्यों?
mediumAnswer: सरकार की त्रिस्तरीय संरचना में न्यायपालिका को स्वतंत्र रखते हैं ताकि यह विधायिका और कार्यपालिका से अलग रहकर निष्पक्ष निर्णय ले सके और संविधान की रक्षा कर सके।
न्यायालय के अधिकार क्षेत्र और इसके विभिन्न प्रकारों की व्याख्या करें।
hardAnswer: न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में विशेष, अपीलीय और सलाहकार क्षेत्रों का समावेश होता है। उच्चतम न्यायालय के विशेष अधिकार क्षेत्र में संघीय विवादों को निपटाना तथा संवैधानिक मामलों की सुनवाई करना शामिल है।
न्यायिक सक्रियता और इसके प्रभाव पर प्रकाश डालें।
mediumAnswer: न्यायिक सक्रियता तब होती है जब न्यायालय विधायिका या कार्यपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप करता है या संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए नई नीतियों का निर्माण करता है। इसका प्रभाव समाज में सकारात्मक बदलाव और नागरिक अधिकारों की रक्षा के रूप में देखा जा सकता है।
न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्ति संतुलन का क्या महत्व है?
mediumAnswer: शक्ति संतुलन सुनिश्चित करता है कि न तो न्यायपालिका और न ही विधायिका अत्यधिक शक्तिशाली हो। यह संतुलन नागरिक अधिकारों की रक्षा करने और निष्पक्ष कानून व्यवस्था बनाए रखने में सहायक होता है।