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Chapter Analysis
Intermediate34 pages • HindiQuick Summary
यह अध्याय हैलोएल्केन और हैलोअरिन यौगिकों की संरचना, उनकी रासायनिक प्रतिक्रियाओं और उनकी प्रासिविधि के बारे में विस्तार से चर्चा करता है। इसमें इनके विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं जैसे- उपचयन, वियोजन और प्रतिस्थापन की प्रक्रियाओं का वर्णन है। इसके अलावा, हैलोएल्केन और हैलोअरिन के उपयोग और उनके पर्यावरणीय प्रभावों पर भी प्रकाश डाला गया है।
Key Topics
- •हैलोएल्केन्स की संरचना
- •हैलोएरीन की संरचना
- •इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रियाएं
- •उपचयन वियोजन अभिक्रियाएं
- •रासायनिक संयोजन प्रक्रियाएं
- •इलेक्ट्रोनगेटिविटी का प्रभाव
- •पर्यावरणीय उपाय
Learning Objectives
- ✓हैलोएल्केन्स की रासायनिक संरचना को समझना
- ✓हैलोएरीन की अभिक्रियाशीलता का विश्लेषण करना
- ✓इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं का अध्ययन करना
- ✓पर्यावरण पर यौगिकों के प्रभावों का मूल्यांकन करना
- ✓रासायनिक संयोजन में इलेक्ट्रोनगेटिविटी के प्रभाव को समझना
Questions in Chapter
सभी हैलोअल्केन और एरीनों में आम धारणा यह है कि वे संपूर्ण रूप से प्रतिकूल अणु होते हैं। इसका कारण स्पष्ट करें।
Answer: हैलोअल्केन्स की रासायनिक संरचना में इलेक्ट्रोनगेटिव साधनों जैसे F, Cl, Br का जुड़ाव होता है, जो इलेक्ट्रोन चुंबकीयता बढ़ाते हैं।
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हैलोएरीन का इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन क्यों होता है?
Answer: हैलोएरीन का इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन इस लिए संभव होता है क्योंकि फिनिसीय संरचना में इलेक्ट्रोन लौटने की प्रवृत्ति होती है।
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Additional Practice Questions
हैलोएल्केन्स और हैलोएरीन की रासायनिक संरचना में क्या अंतर होता है?
mediumAnswer: हैलोएल्केन्स में कार्बन-हैलोजन बंध sp3 अवस्था में होता है, जबकि हैलोएरीन में यह sp2 अवस्था में होता है।
हैलोएल्केन्स के उपयोग का एक उदाहरण दीजिए।
easyAnswer: डिक्लोरोमेथेन उत्पाद के रूप में रासायनिक प्रक्रिया में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के रूप में उपयोग होता है।
किस प्रकार के हैलोजन यौगिक अधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं, और क्यों?
hardAnswer: अधिक इलेक्ट्रोनगेटिविटी वाले हैलोजन यौगिक जैसे फ्लोरीन वाले यौगिक अधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं क्योंकि वे दृढ़तापूर्वक इलेक्ट्रोन आकर्षित करते हैं।