Chapter 14: हजारी प्रसाद द्विवेदी

Hindi - Aroh • Class 12

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Chapter Analysis

Advanced8 pages • Hindi

Quick Summary

चौदहवें अध्याय में हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और साहित्य की गहराई को समझाने का प्रयास किया है। इस अध्याय में भौतिक और अभौतिक तत्वों का महत्व और उनके बीच विद्यमान संतुलन की व्याख्या की गई है। लेखक ने मनुष्य के जीवन में साहित्य के महत्व को दर्शाते हुए इस बात पर बल दिया है कि साहित्य एक समाज के सांस्कृतिक विकास का दर्पण है।

Key Topics

  • भारतीय संस्कृति
  • साहित्य का महत्व
  • दार्शनिकता
  • सांस्कृतिक धरोहर
  • सभ्यता और संस्कृति
  • विचारों की स्वतंत्रता
  • सामाजिक समरसता

Learning Objectives

  • भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को समझना
  • साहित्यिक दार्शनिकता को ग्रहण करना
  • समाज और साहित्य के बीच संबंध को जानना
  • विविधता और समरसता के मूल्य को समझना

Questions in Chapter

1- लेखक ने 'फरन' को दार्शनिक विधा (आंदोलन) की तरह क्यों कहा है?

Answer: क्योंकि यह साहित्य के गहराई और उसकी संजीवनी शक्ति को दर्शाता है।

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2- ध्वनि की गहराई को बचाने के लिए आचार की तीव्रता कभी-कभी कितनी ज़रूरी हो जाती है?

Answer: यह साहित्य और जीवन के गहरे उद्देश्य को खोजने के लिए सजगता की आवश्यकता को दर्शाता है।

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3- द्विवेदी जी ने 'फरन' के माध्यम से साहित्यिक और सांस्कृतिक स्थिति में कैसे अंतर डाला है?

Answer: उन्होंने 'फरन' के माध्यम से विविधता और सांस्कृतिक संपन्नता का संदेश दिया है।

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Additional Practice Questions

कैसे हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने लेखन में विचार और तत्व को जोड़ा है?

hard

Answer: द्विवेदी जी अपने लेखन में विचारों की गहराई और सांस्कृतिक तत्वों का सहारा लेते हैं, जिससे उनके वर्णन में गहनता और गाम्भीर्य आता है।

भाषाई समृद्धि का द्विवेदी जी के साहित्य में क्या योगदान है?

medium

Answer: भाषाई समृद्धि के माध्यम से द्विवेदी जी अपने पाठकों को गहराई तक प्रभावित करते हैं और भाषा का उपयोग सामाजिक बदलाव में करने का तरीका दिखाते हैं।

द्विवेदी जी ने भारतीय संस्कृति के किन पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया है?

easy

Answer: द्विवेदी जी ने विचारों की स्वतंत्रता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को अपने लेखन में उभारा है।

द्विवेदी जी किस प्रकार भारतीय और विश्व साहित्य के बीच संबंध स्थापित करते हैं?

medium

Answer: द्विवेदी जी भारतीय साहित्य की विशेषताओं को वैश्विक संदर्भ में परखते हैं और अधिकतम सांस्कृतिक संवाद स्थापित करते हैं।

द्विवेदी जी के दृष्टिकोण से साहित्य का मानव जीवन में क्या महत्व है?

hard

Answer: साहित्य मानव जीवन को एक नई दिशा देने की शक्ति रखता है और यह जीवन की समस्याओं को समझने और समाधान निकालने में मदद करता है।