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Chapter Analysis
Intermediate19 pages • HindiQuick Summary
इस अध्याय में भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया और उसके प्रधान बिंदुओं पर चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार संविधान सभा ने विभिन्न विचारधाराओं के बीच सामंजस्य स्थापित करके भारत के लिए एक प्रभावी संविधान का निर्माण किया। अध्याय में संविधान सभा की बहसें, भाषाई मुद्दों और अधिकारों की व्याख्या की गई है।
Key Topics
- •भारतीय संविधान का निर्माण
- •संविधान सभा की बहसें
- •भाषा संबंधी विवाद
- •मौलिक अधिकार
- •सामाजिक न्याय
- •संविधान निर्मात्री समिति की भूमिका
- •धर्मनिरपेक्षता
- •संविधान के प्रमुख प्रावधान
Learning Objectives
- ✓संविधान निर्माण की प्रक्रिया को समझना
- ✓संविधान सभा की संरचना और कार्य प्रणाली का अध्ययन
- ✓भाषाई समाधान और उसकी चुनौतियों को पहचानना
- ✓मौलिक अधिकारों की महत्वता को समझना
- ✓सामाजिक न्याय के संदर्भ में संविधान की भूमिका
- ✓भारत की विविधता में एकता की अवधारणा को समझना
Questions in Chapter
संविधान सभा ने भाषा के प्रश्न का समाधान किस प्रकार किया?
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आपका क्या मत है कि भाषाई समाधान कैसे प्रभावी हो सकते हैं?
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Additional Practice Questions
संविधान सभा में प्रस्तावित अधिकारों पर विचार हो रहे थे, उस पर आपका क्या मत है?
mediumAnswer: संविधान सभा के सदस्यों ने अधिकतर अधिकारों के प्रस्तावों को स्वीकार किया लेकिन उनमें कुछ अवरोध भी सामने आए। इसके समाधान के लिए विचार-विमर्श और सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक था।
संविधान सभा ने किस प्रकार सामाजिक न्याय को सरकार की नींव के रूप में स्थापित किया?
hardAnswer: संविधान सभा ने विभिन्न सामाजिक वर्गों के अधिकारों को परिभाषित करके, विशेष सुरक्षा और अवसर की गारंटी देकर सामाजिक न्याय को सरकारी व्यवस्था की नींव बना दिया।
हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने में क्या चुनौतियाँ आईं?
mediumAnswer: हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करते समय क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को संतुलित रखना एक बड़ी चुनौती थी। इसके समाधान के लिए एक संयोजन की नीति अपनाई गई।
संविधान बनाने में सांस्कृतिक विविधता का किस प्रकार सामना किया गया?
mediumAnswer: सांस्कृतिक विविधता को संविधान में अहमियत देकर, विविधता के बीच एकता को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए।
संविधान सभा के कामकाज की आलोचना कैसे की जा सकती है?
hardAnswer: संविधान सभा के कामकाज की आलोचना इस आधार पर की जा सकती है कि इसमें शासकों की अपेक्षाओं के मुकाबले जनसाधारण की आवाज को पर्याप्त रूप से नहीं सुना गया।