Chapter 9: कार्याकार्यव्यवस्थित

Sanskrit - Bhaswati • Class 12

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Chapter Analysis

Intermediate6 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में कार्य और अकार्य की अवधारणा को विस्तार से समझाया गया है। यह समाज और व्यक्तिगत जीवन में नैतिक मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डालता है। विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोणों के माध्यम से निर्णय लेने की प्रक्रिया का विश्लेषण किया गया है। यह छात्रों को नैतिकता और धर्म की अनुप्रयोगात्मकता को समझाने का प्रयास करता है।

Key Topics

  • कार्य और अकार्य का विवेचन
  • धर्म और नैतिकता का महत्व
  • समाज में नैतिक मूल्यों की भूमिका
  • निर्णय लेने की प्रक्रिया
  • व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में धर्म का अनुप्रयोग
  • विवेकपूर्ण आचरण
  • धर्म का समाज पर प्रभाव

Learning Objectives

  • छात्रों को धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोणों की समझ विकसित करना।
  • नैतिकता और धर्म की अनुप्रयोगात्मकता को समझना।
  • निर्णय लेने की प्रक्रिया में नैतिक मूल्यों का समावेश करना।
  • समाज में नैतिक मूल्यों की भूमिका को विश्लेषण करना।

Questions in Chapter

द्धौ संदर्भौ कथं विवेचयतः?

Answer: धर्ममूलकं व्याख्यानं, कार्यं च संशोधनं प्रदत्तम्।

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जीविते उपयोगी धर्मसाधारणधर्मयोः संयोगः कथम्?

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Additional Practice Questions

कार्याकार्यविचारस्य महत्वं कीदृशं?

medium

Answer: कार्याकार्यविचारस्य महत्वं आचरणशुद्धयेः साधनो भवति। अस्मिन् अवस्थायां समाजस्य मूल्यप्रियता अनिवार्यं भवति।

कः धर्मस्य विश्वसनीयता ज्ञायताम्?

easy

Answer: धर्मस्य विश्वसनीयता अनेकेन प्रयोगेण तथा परिणामदायकस्य अनुभवेन ज्ञायताम्।

धर्मं लब्धुम् कथं प्रयत्नं क्रियताम्?

hard

Answer: धर्मं लब्धुम् सह-अशक्ति समर्थं प्रयत्नं क्रियतां, यतः सञ्चालनानां आधारेण प्राप्यते।

कः धर्मस्य कर्तव्यम्?

medium

Answer: धर्मस्य कर्तव्यम् समाजस्य हिताय, विवेकपूर्णं आचरणस्य सिद्धये च।

विवेकस्य कार्याकार्यविवेकस्य प्रभावः कीदृशः?

hard

Answer: विवेकस्य प्रभावः कार्याकार्यविवेकं निर्णय प्रक्रियायां संतुलन स्थापयति।