Chapter 3: सविंधान एवं सामाजिक परिवर्तन

Sociology Part 2 - Hindi • Class 12

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Chapter Analysis

Intermediate18 pages • Hindi

Quick Summary

यह अधयाय भारतीय संविधान और सामाजिक परिवर्तन के बीच संबंधों पर प्रकाश डालता है। इसमें बताया गया है कि कैसे संविधान ने सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए कानूनी और संस्थागत ढांचे की संरचना की है। पंचायत राज प्रणाली और स्थानीय शासन की भूमिका का विशेष रूप से विश्लेषण किया गया है। यह अध्याय सामाजिक आंदोलनों और उनके न्यायालयों पर प्रभाव की भी चर्चा करता है।

Key Topics

  • भारतीय संविधान
  • सामाजिक परिवर्तन
  • पंचायती राज प्रणाली
  • लोकतंत्र और दबाव समूह
  • सामाजिक न्याय
  • सामाजिक आंदोलन
  • स्थानीय शासन
  • संविधान में संशोधन

Learning Objectives

  • छात्र संविधान और सामाजिक परिवर्तन का संबंध समझेंगे।
  • छात्र पंचायत राज प्रणाली की आवश्यकता और भूमिका समझेंगे।
  • छात्र सामाजिक आंदोलनों के न्यायिक प्रक्रिया पर प्रभाव की जानकारी प्राप्त करेंगे।
  • छात्र ग्रामीण समाज में असमानताओं के विभिन्न रूपों की पहचान करेंगे।
  • छात्र सामाजिक न्याय के लिए संवैधानिक प्रावधानों की समीक्षा करेंगे।

Questions in Chapter

लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की महत्ता पर प्रकाश डालिए।

Answer: राजनीतिक दल लोकतंत्र के आधार स्तम्भ होते हैं। वे विभिन्न विचारधाराओं को प्रतिनिधित्व देते हैं और जनता की इच्छाओं का संप्रेषण करते हैं।

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लोकतांत्रिक व्यवस्था में दबाव समूह की भूमिका का वर्णन करें।

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दबाव समूह का गठन किस प्रकार होता है?

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Additional Practice Questions

संविधान किस प्रकार सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करता है?

medium

Answer: संविधान विभिन्न अधिकारों और नीतियों के माध्यम से सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करता है। यह संस्थानों को कार्य करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिसे सामाजिक समानता की दिशा में उपयोग किया जाता है।

पंचायती राज प्रणाली का महत्व क्या है?

easy

Answer: पंचायती राज प्रणाली जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को सशक्त करती है, जिससे समाज के हर वर्ग की सहभागिता सुनिश्चित होती है। यह स्थानीय शासन को सक्षम बनाता है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाता है।

सामाजिक आंदोलनों के न्यायपालिका पर क्या प्रभाव होते हैं?

hard

Answer: सामाजिक आंदोलन अक्सर न्यायपालिका को प्रभावित करते हैं और कई बार उनके माध्यम से नीतिगत बदलाव लाने में सफल होते हैं। ये आंदोलन न्यायालयों को सामाजिक मुद्दों के प्रति अधिक संवेदनशील और जागरूक बनाते हैं।

भारतीय संविधान किस प्रकार से समाज में शक्ति के विकेंद्रीकरण को सक्षम बनाता है?

medium

Answer: भारतीय संविधान पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना के माध्यम से शक्ति का विकेंद्रीकरण सुनिश्चित करता है। यह स्थानीय शासन को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल करने और समाज के सभी वर्गों की आवाज सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।