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Chapter Analysis
Intermediate4 pages • HindiQuick Summary
यह अध्याय 'विद्याधनं' का वर्णन करता है जिसमें विद्या के महत्व और संपत्ति की तुलना में उसके श्रेष्ठता को दर्शाया गया है। विद्या को वहन करने योग्य, सुरक्षा प्रदान करने वाली और नष्ट न होने वाली सम्पत्ति बताया गया है। इस पाठ में बताया गया है कि विद्या बिना सोने और रत्नों के अधिक प्रभावशाली होती है और यह मनुष्य को आदर, सम्मान और उच्च स्थान दिलाती है।
Key Topics
- •विद्या का महत्व
- •धन और विद्या की तुलना
- •विद्या का सामाजिक योगदान
- •विद्या और नैतिकता
- •विद्या की अविनाशी सम्पत्ति
Learning Objectives
- ✓छात्र विद्या के महत्व को समझ सकें।
- ✓छात्र धन और विद्या की तुलना कर सकें।
- ✓छात्र समाज में विद्या के योगदान को पहचान सकें।
- ✓छात्र नैतिकता और संस्कार को विद्या के साथ जोड़ सकें।
- ✓छात्र विद्या की अविनाशी प्रकृति को समझ सकें।
Questions in Chapter
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Additional Practice Questions
विद्या क्यों सबसे महत्वपूर्ण सम्पत्ति है?
easyAnswer: विद्या सबसे महत्वपूर्ण सम्पत्ति है क्योंकि यह अचोर्य है अर्थात् इसे चुराया नहीं जा सकता। विद्या का प्रकाश जीवन को दिशा देता है और यह सदैव साथ रहती है।
विद्या और सम्पत्ति में क्या अंतर है?
mediumAnswer: सम्पत्ति स्थूल और भौतिक होती है जिसे चोरी किया जा सकता है, जबकि विद्या सूक्ष्म और अभौतिक होती है जो जीवन भर साथ रहती है और किसी भी स्थिति में व्यक्ति को आगे बढ़ने में मदद करती है।
विद्या का समाज में क्या योगदान है?
mediumAnswer: विद्या समाज में सही मार्गदर्शन, नैतिकता और संस्कार का प्रसार करती है। यह एक व्यक्ति को समाज के प्रति उत्तरदायी बनाती है जिससे समाज का समुचित विकास होता है।
विद्या को रत्नों से क्यों श्रेष्ठ कहा गया है?
hardAnswer: विद्यादान का लाभ कई गुना होता है और यह स्थायी है जबकि रत्नों का मूल्य अस्थायी होता है। विद्या से मिला ज्ञान व्यक्ति को प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाता है जो कि रत्न कभी नहीं कर सकते।
विद्या का महत्व कैसे अनुभव किया जा सकता है?
hardAnswer: विद्या का महत्व वैयक्तिक, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर महसूस किया जा सकता है क्योंकि यह व्यक्ति के समग्र विकास के साथ-साथ राष्ट्र की प्रगति में भी सहायक है।