Chapter 14: आर्यभटः

Sanskrit • Class 8

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Chapter Analysis

Intermediate10 pages • Hindi

Quick Summary

आर्यभटः अध्याय में प्राचीन भारतीय गणितज्ञ आर्यभट के जीवन और उनके कार्यों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इस अध्याय में उनके द्वारा विकसित की गई गणनाएं, समय मापने की विधियां और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान की व्याख्या की गई है। विशेषतः, उनके द्वारा स्थापित संख्या प्रणाली और π (पाई) के मूल्य का उल्लेख शामिल है।

Key Topics

  • आर्यभट का जीवन परिचय
  • गणनाएं और संख्या प्रणाली
  • खगोल शास्त्र में योगदान
  • π (पाई) का मूल्य निर्धारण
  • समय मापन की विधियां
  • आर्यभटीय ग्रंथ

Learning Objectives

  • आर्यभट के जीवन का संक्षिप्त परिचय प्राप्त करना।
  • पुरानी संख्या पद्धति और गणनाओं की समझ को गहराई से जानना।
  • खगोल शास्त्र में आर्यभट के योगदान को पहचानना।
  • π (पाई) के मूल्य का ऐतिहासिक निर्धारण समझना।
  • समय मापन की प्राचीन भारतीय विधियों को जानना।

Questions in Chapter

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Additional Practice Questions

आर्यभट ने पाई (π) के मूल्य का कैसे निर्धारण किया?

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Answer: आर्यभट ने पाई (π) के मूल्य को 3.1416 के रूप में प्रस्तुत किया। यह गणना उन्होंने जल-घट सिद्धांत के माध्यम से की थी।

आर्यभट का खगोल शास्त्र में योगदान क्या था?

hard

Answer: आर्यभट ने धरती की परिधि की गणना और ग्रहों के संचालन की विधियों का अध्ययन किया, जिससे उन्होंने खगोल शास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आर्यभट के द्वारा कौन सा प्रमुख ग्रंथ लिखा गया?

medium

Answer: आर्यभट ने 'आर्यभटीय' नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें गणित और खगोल शास्त्र के सिद्धांतों को विस्तार से वर्णित किया गया है।

आर्यभट के समय मापन पद्धति का वर्णन करें।

easy

Answer: आर्यभट ने समय मापन के लिए सौर प्रणाली का उपयोग किया, जिसमें उन्होंने एक वर्ष को 365.2588 दिन का माना।

π (पाई) का महत्व आर्यभट के समय में क्या था?

easy

Answer: आर्यभट के समय में π (पाई) का उपयोग वृत्त और उसकी त्रिज्या की गणनाओं में होता था, जो ज्यामिति और वास्तुकला के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।