Chapter 6: कारकोपपदवि‍भक्‍ति

Sanskrit - Abhyaswaan Bhav • Class 9

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Chapter Analysis

Intermediate20 pages • Hindi

Quick Summary

यह पाठ 'कारकोपपदविभक्ति' विभक्तियों के विभिन्न उपयोगों पर केन्द्रित है। इसमें वाक्यों में विभिन्न विभक्तियों का कैसे उचित उपयोग किया जाता है, इस पर भी प्रकाश डाला गया है। उदाहरणों के माध्यम से छात्र विभक्तियों के सही इस्तेमाल को सीख सकते हैं। यह अध्याय विद्यार्थियों को संस्कृत व्याकरण की गहराई से परिचित कराता है【4:5†class-9-sanskrit-abhyaswaan-bhav-chapter-6.pdf】।

Key Topics

  • विभक्तियों का महत्व
  • उपपदविभक्ति के उदाहरण
  • संबोधन विभक्ति
  • कारण कारक का उपयोग
  • सप्तमी विभक्ति की स्थिति
  • तृतीया विभक्ति के प्रयोग
  • कर्म कारक का महत्व
  • विभक्तियों की संरचना और इस्तेमाल

Learning Objectives

  • विभक्तियों के सही उपयोग को समझना
  • विभक्तियों के विभिन्न प्रकारों को पहचानना
  • उपपदविभक्ति का सही प्रयोग सीखना
  • संस्कृत व्याकरण के नियमों का पालन करना
  • व्याकरण में विभक्तियों के प्रयोग की महत्ता को पहचानना

Questions in Chapter

अधोठिठितारितम पदंडठित –

Page 60

उदाहरणासं सहिठतं ठितित।

Page 65

Additional Practice Questions

उपपदविभक्ति के उदाहरण दीजिए।

medium

Answer: उपपदविभक्ति तब प्रयुक्त होती है जब संज्ञा के साथ विशेषण जुड़ना अनिवार्य हो। जैसे 'वनस्य गन्धः'।

कारण कारक के उदाहरण समझाइए।

medium

Answer: इतस्ततः कारणों के लिए हम विभक्ति का प्रयोग करते हैं। जैसे ‘वायोः द्वारा वृक्ष: चलति’।

तृतीया विभक्ति का वाक्यों में प्रयोग समझाइए।

easy

Answer: तृतीया विभक्ति के उदाहरण: ‘रामेण गणितं पठति’ यह दर्शाता है कि राम ने गणित पढ़ा।

सप्तमी विभक्ति का प्रयोग कैसे करें?

easy

Answer: सप्तमी विभक्ति स्थिति दर्शाने के लिए होती है, जैसे ‘गृहे स्थिता’।

कर्म कारक का विवरण दीजिए।

medium

Answer: कर्म कारक वह कारक होता है जिसका कर्ता क्रिया करता है, जैसे ‘रामः विद्यालयं गच्छति’।

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