Chapter 4: सूक्तिमौक्तिकम

Sanskrit - Shemushi • Class 9

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Chapter Analysis

Intermediate5 pages • Hindi

Quick Summary

सूक्तिमौक्तिकम में संस्कृत साहित्य की सूक्तियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा दी गई है। ये सूक्तियाँ मनुष्य के चरित्र निर्माण और उचित आचरण का मार्गदर्शन करती हैं। इस अध्याय में मैत्री, धर्म, कर्तव्य, और सम्मान के महत्त्व को रेखांकित किया गया है।

Key Topics

  • मैत्री
  • धर्म
  • कर्तव्य
  • सम्मान
  • आचरण
  • सूक्ति

Learning Objectives

  • छात्रों को नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का बोध कराना।
  • उन्हें धर्म और कर्तव्य के प्रति जागरूक बनाना।
  • सूक्तियों के माध्यम से सही आचरण का मार्गदर्शन देना।
  • विचार और वाणी में संयम लाना।
  • सामाजिक सद्भावना और मैत्री को प्रोत्साहित करना।

Questions in Chapter

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Additional Practice Questions

आप क्या समझते हैं कि मैत्री का महत्व क्यों है?

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Answer: मैत्री का महत्व इसलिये है क्योंकि यह पारस्परिक विश्वास और सद्भावना को बढ़ावा देती है।

धर्म का क्या अर्थ है और इसका जीवन में क्या योगदान है?

medium

Answer: धर्म का अर्थ है सही कार्य करना और यह हमारे जीवन में सदाचार और नैतिक मूल्य प्रदान करता है।

कर्तव्य और अधिकार में क्या अंतर है?

hard

Answer: कर्तव्य वह है जो हमें करना चाहिए जबकि अधिकार वह है जो हमें प्राप्त होता है। कर्तव्य का पालन अधिकार की प्राप्ति में सहायता करता है।

आचरण के कुछ प्रकार क्या-क्या होते हैं?

easy

Answer: आचरण के प्रकार हैं नैतिक आचरण, सामाजिक आचरण तथा व्यक्तिगत आचरण। प्रत्येक का उद्देश्य व्यक्ति के व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन को शुद्ध और सुचारु बनाना होता है।

संस्कृत साहित्य में सूक्तियों का क्या महत्व है?

hard

Answer: संस्कृत साहित्य में सूक्तियां नैतिक शिक्षा देने और समाज में उचित मूल्य प्रणाली स्थापित करने में सहायक होती हैं।