Chapter 2: भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय सरंचना

Sociology Part 1 - Hindi • Class 12

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Chapter Analysis

Intermediate38 pages • Hindi

Quick Summary

यह अध्याय भारतीय समाज की जनसांख्यकीय संरचना पर केंद्रित है, जिसमें जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं जैसे जनसंख्या वृद्धि दर, जन्म और मृत्यु दर, जनसंख्या के आयु वर्ग आदि पर चर्चा की गई है। जनसांख्यिकीय संक्रमण का सिद्धांत और इसकी समाज पर आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता के प्रभाव को भी यहाँ विस्तार से समझाया गया है। अध्याय में भारत की जनसंख्या के विकास के दौरान आए परिर्वतनों का भी विश्लेषण किया गया है।

Key Topics

  • जनसंख्या वृद्धि दर
  • जनसांख्यकीय संक्रमण का सिद्धांत
  • मॉल्थसियन सिद्धांत
  • जनसांख्यकीय लाभांश
  • भारत की जनसंख्या की संरचना
  • आर्थिक विकास पर जनसांख्यिकीय प्रभाव
  • जनसंख्या नीति
  • जन्म और मृत्यु दर

Learning Objectives

  • जनसांख्यकीय संरचना की महत्वपूर्ण अवधारणाओं को समझना
  • भारत की जनसंख्या वृद्धि के ऐतिहासिक पैटर्न का अध्ययन करना
  • जनसांख्यिकी के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करना
  • जनसांख्यकीय लाभांश के अवसरों और चुनौतियों का मूल्यांकन करना
  • जनसंख्या नीतियों के प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता को पहचानना
  • आर्थिक प्रगति में जनसांख्यिकीय परिवर्तन की भूमिका का आकलन करना

Questions in Chapter

1. जनसांख्यकीय संक्रमण के सिद्धांत के मुख्य तत्त्वों को स्पष्ट कीजिए?

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2. मॉल्थस का यह विश्वास क्यों था कि अकाल और महामारी जैसी विनाशकारी घटनाएँ अपरिहार्य हैं?

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3. मृत्यु दर और जन्म दर का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए कि जन्म दर में गिरावट अपेक्षाकृत धीमी गति से क्यों आती है जबकि मृत्यु दर तेजी से गिरती है?

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4. भारत में कौन-कौन से राज्य जनसंख्या संवृद्धि के 'प्रतिस्थापन स्तरों' को प्राप्त कर चुके हैं अथवा प्रतिस्थापन के बहुत नज़दीक हैं?

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Additional Practice Questions

भारतीय जनसंख्या की संरचना में तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रवृत्तियों का क्या प्रभाव है?

medium

Answer: भारतीय जनसंख्या की संरचना में तात्कालिक प्रवृत्तियों में जन्म दर और मृत्यु दर में हुए परिवर्तन महत्वपूर्ण होते हैं। दीर्घकालिक प्रवृत्तियों में समाज की आर्थिक प्रगति और विकास शामिल हैं, जो जनसंख्या के आयुवर्ग और श्रमशक्ति पर आधारित होते हैं। इन प्रवृत्तियों के मेल से जनसंख्या की सामाजिक और आर्थिक भविष्यवाणी की जा सकती है।

जनसांख्यकीय लाभांश क्या है और यह भारत के आर्थिक विकास में कैसे योगदान दे सकता है?

hard

Answer: जनसांख्यकीय लाभांश ऐसी स्थिति होती है जब कार्यशील उम्र की जनसंख्या गैर-कार्यशील उम्र की जनसंख्या से अधिक होती है। यह सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं के सही प्रबंधन के साथ अर्थव्यवस्था को प्रगति और विकास की ऊँचाइयों पर ले जा सकता है। प्रभावी नीतियों के माध्यम से, यह कार्यशील जनसंख्या आर्थिक विकास का स्रोत बन सकती है।

मॉल्थसियन सिद्धांत के संदर्भ में भारत की जनसंख्या वृद्धि का विश्लेषण कीजिए।

medium

Answer: मॉल्थसियन सिद्धांत के अनुसार अगर जनसंख्या की वृद्धि खाद्य आपूर्ति की वृद्धि से अधिक होती है, तो अकाल और महामारी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। भारत की जनसंख्या वृद्धि इसी सिद्धांत का एक उदाहरण हो सकता है, जहाँ खाद्य स्रोतों की पर्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत प्रयासों की आवश्यकता होती है।

जनसंख्या النمو कारकों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व कौन-कौन से हैं?

easy

Answer: जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में जन्म दर और मृत्यु दर, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, शिक्षा का स्तर, आर्थिक अवसर और नीतिगत समर्थन शामिल हैं। यह सभी कारक सामूहिक रूप से जनसंख्या की वृद्घि दर को नियंत्रित कर सकते हैं।

देश की आर्थिक प्रगति में जनसंख्या के आयु वर्ग की क्या भूमिका होती है?

hard

Answer: देश की आर्थिक प्रगति में युवा जनसंख्या का विशेष महत्व होता है, क्योंकि वे लाग-लागत कार्यबल का हिस्सा होते हैं। उनके द्वारा जनित आय का बड़ा भाग न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक समृद्धि में भी योगदान देता है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा और तकनीकी विकास के क्षेत्रों में भी लाभ होता है।