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Chapter Analysis
Advanced19 pages • HindiQuick Summary
यह अध्याय भारत के विभाजन और क्षेत्रीय आकांक्षाओं की पृष्ठभूमि में विकसित घटनाओं पर प्रकाश डालता है। इसमें जम्मू और कश्मीर तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में विशेषत: नागालैंड और मिजोरम की स्वायत्तता के मुद्दों पर चर्चा की गई है। भारतीय संविधान में क्षेत्रीय आकांक्षाओं के समावेश और केंद्र-राज्य संबंधों पर भी यह अध्याय ध्यान केंद्रित करता है।
Key Topics
- •भारतीय संविधान और क्षेत्रीय आकांक्षाएँ
- •केंद्र-राज्य संबंध
- •जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा
- •उत्तर-पूर्वी भारत की राजनीति
- •पंजाब संकट और समाधान
- •मिजोरम और नागालैंड की स्वायत्तता
Learning Objectives
- ✓क्षेत्रीय आंदोलन और उनका भारतीय राजनीति पर प्रभाव समझना
- ✓केंद्र-राज्य संबंधों की जटिलताओं को विश्लेषित करना
- ✓भारतीय संविधान के विशेष प्रावधानों का अध्ययन
- ✓क्षेत्रीय असमानताओं के ऐतिहासिक कारणों की पहचान
Questions in Chapter
पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधान क्या थे? क्या ये प्रावधान पंजाब और उसके आस-पास के राज्यों के बीच तनाव बढ़ाने के कारण बन सकते हैं? रोचकता के साथ उत्तर दीजिए।
Answer: पंजाब समझौते के अनुसार 1985 में कई सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रावधान किए गए। इसका उद्देश्य राज्यों के बीच तनाव को कम करना था।
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Additional Practice Questions
क्षेत्रीय आंदोलन क्या हैं और ये भारतीय राजनीति में कैसे योगदान करते हैं?
mediumAnswer: क्षेत्रीय आंदोलन सत्य, न्याय, और पहचान के आधार पर उत्पन्न होते हैं। ये आंदोलनों का लक्ष्य अक्सर सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करना होता है। भारतीय राजनीति में ये आंदोलन राष्ट्रीय दृष्टिकोण को चुनौती देते हैं और लोकतंत्र को बल देते हैं।
उत्तर-पूर्वी भारत में स्वायत्तता की माँग कैसी रही है, उदाहरण के साथ समझाएँ।
hardAnswer: उत्तर-पूर्वी भारत में स्वायत्तता की माँग मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों में रही है। यह माँग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारणों से जुड़ी है। 1986 में मिजोरम समझौता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।